मौत के 52साल बाद भी सैनिक करता है बॉर्डर पर रखवाली
सिक्किम में है बाबा हरभजन सिंह मंदिर:-
साल 1968 में ड्यूटी के दौरान एक दुर्घटना में बाबा हरभजन सिंह की मौत हो गई थी। दो दिन की तलाशी के बाद भी उनका शव नहीं मिल पाया। दो दिन बाद उनके साथी के सपने में आकर उन्होंने अपने शव की के बारे में बताया। सुबह होते ही साथी ने यह बात अपने अधिकारियों को बतायी। पहले तो अधिकारियों को विश्वास नहीं हुआ लेकिन जब वहां शव मिल गया तो सभी अधिकारी आश्चर्यचकित रह गये। उसके बाद वहा पर उनकी समाधि बना दी गई। यह मंदिर जेलेप्ला दर्रे और नाथूला दर्रे के बीच 13000 फीट की ऊँचाई पर स्थित है।
सैनिकों का कहना है कि उनकी आत्मा चीन की तरफ से होने वाले खतरे के बारे में पहले ही इन्हें बता देती है। चीनी सेना ने भी बाबा हरभजन सिंह की आत्मा को बॉर्डर पर गश्त करते देखा है। भारत और चीन के बीच होने वाली फ्लैग मीटिंग में एक कुर्सी हरभजन सिंह के लिए खाली रखी जाती है।
कौन है बाबा हरभजन सिंह :-
बाबा हरभजन सिंह का जन्म 30 अगस्त 1946 को जिला गुजरावाला (वर्तमान में पाकिस्तान में है) में हुआ था। बाबा हरभजन सिंह 24 वी पंजाब रेजिमेंट के सिपाही थे और सन् 1966 में सेना में भर्ती हुए थे। मात्र 2 साल सेना में रहने के बाद उनकी मौत हो गई थी।
आज भी करते हैं अपनी ड्यूटी :-
मौत के बाद से ही बाबा लगातार अपनी ड्यूटी कर रहे हैं। इसके लिए उन्हें सैलरी भी दी जाती है। बाबा हरभजन सिंह की आत्मा को बाकायदा 12 महीनों में 2 महीनों की छुट्टी पर भी भेजा जाता था। इस दौरान बॉर्डर हाई अलर्ट पर रहती थी क्युकी इस दौरान बाबा जी की सहायता उन्हें नहीं मिल पाती थी, लेकिन कुछ लोगों ने इसे अंध विश्वास बताते हुए कोर्ट में केस कर दिया कि आर्मी में अंध विश्वास की कोई जगह नहीं है इसीलिए अब बाबा हरभजन सिंह लगातार 12 महीने ड्यूटी करते है।
लोगों की आस्था का केंद्र है मंदिर :-
यह मंदिर लोगों और सेना दोनों के लिए आस्था का प्रतीक है। इस इलाके में आने वाला हर सिपाही पहले बाबा के मंदिर में आता है। इस मंदिर के बारे में एक मान्यता है कि पानी से भरी बोतल 3 दिन के लिए मंदिर में रखने पर पानी में चमत्कारि औषधीय गुण आ जाते हैं, इस पानी को पीने से सारे रोग मिट जाते हैं।
बाबा का बंकर नए मंदिर से 1000 फीट की ऊंचाई पर है। यह मंदिर
लाल और पीले रंग से बना हुआ है। सीढिया लाल रंग की और पिलर पीले रंग के बने हुए हैं। सीढियों के दोनों तरफ घंटियाँ लगी हुयी है। बाबा के बंकर में कोपिया रखी हुयी है, जिसमें लोग अपनी मुरादें लिखते हैं और उनका मानना है कि इसमे लिखी हुयी सारी मुरादें पूरी हो जाती है। मंदिर में एक ऐसी जगह भी है जहां लोग सिक्के गिराते है, अगर वो सिक्का उन्हें वापिस मिल जाता है तो वो बहुत ही भाग्यशाली होते हैं और उस सिक्के को पर्स में सम्भाल रखने की सलाह दी जाती है।
इन दोनों मंदिरों का संचालन आर्मी द्वारा ही किया जाता है।
सिक्किम में है बाबा हरभजन सिंह मंदिर:-
साल 1968 में ड्यूटी के दौरान एक दुर्घटना में बाबा हरभजन सिंह की मौत हो गई थी। दो दिन की तलाशी के बाद भी उनका शव नहीं मिल पाया। दो दिन बाद उनके साथी के सपने में आकर उन्होंने अपने शव की के बारे में बताया। सुबह होते ही साथी ने यह बात अपने अधिकारियों को बतायी। पहले तो अधिकारियों को विश्वास नहीं हुआ लेकिन जब वहां शव मिल गया तो सभी अधिकारी आश्चर्यचकित रह गये। उसके बाद वहा पर उनकी समाधि बना दी गई। यह मंदिर जेलेप्ला दर्रे और नाथूला दर्रे के बीच 13000 फीट की ऊँचाई पर स्थित है।
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Photo credit :- Google |
सैनिकों का कहना है कि उनकी आत्मा चीन की तरफ से होने वाले खतरे के बारे में पहले ही इन्हें बता देती है। चीनी सेना ने भी बाबा हरभजन सिंह की आत्मा को बॉर्डर पर गश्त करते देखा है। भारत और चीन के बीच होने वाली फ्लैग मीटिंग में एक कुर्सी हरभजन सिंह के लिए खाली रखी जाती है।
कौन है बाबा हरभजन सिंह :-
बाबा हरभजन सिंह का जन्म 30 अगस्त 1946 को जिला गुजरावाला (वर्तमान में पाकिस्तान में है) में हुआ था। बाबा हरभजन सिंह 24 वी पंजाब रेजिमेंट के सिपाही थे और सन् 1966 में सेना में भर्ती हुए थे। मात्र 2 साल सेना में रहने के बाद उनकी मौत हो गई थी।
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Photo Credit :- Google |
आज भी करते हैं अपनी ड्यूटी :-
मौत के बाद से ही बाबा लगातार अपनी ड्यूटी कर रहे हैं। इसके लिए उन्हें सैलरी भी दी जाती है। बाबा हरभजन सिंह की आत्मा को बाकायदा 12 महीनों में 2 महीनों की छुट्टी पर भी भेजा जाता था। इस दौरान बॉर्डर हाई अलर्ट पर रहती थी क्युकी इस दौरान बाबा जी की सहायता उन्हें नहीं मिल पाती थी, लेकिन कुछ लोगों ने इसे अंध विश्वास बताते हुए कोर्ट में केस कर दिया कि आर्मी में अंध विश्वास की कोई जगह नहीं है इसीलिए अब बाबा हरभजन सिंह लगातार 12 महीने ड्यूटी करते है।
लोगों की आस्था का केंद्र है मंदिर :-
यह मंदिर लोगों और सेना दोनों के लिए आस्था का प्रतीक है। इस इलाके में आने वाला हर सिपाही पहले बाबा के मंदिर में आता है। इस मंदिर के बारे में एक मान्यता है कि पानी से भरी बोतल 3 दिन के लिए मंदिर में रखने पर पानी में चमत्कारि औषधीय गुण आ जाते हैं, इस पानी को पीने से सारे रोग मिट जाते हैं।
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Photo credit :-onetourist |
बाबा का बंकर नए मंदिर से 1000 फीट की ऊंचाई पर है। यह मंदिर
लाल और पीले रंग से बना हुआ है। सीढिया लाल रंग की और पिलर पीले रंग के बने हुए हैं। सीढियों के दोनों तरफ घंटियाँ लगी हुयी है। बाबा के बंकर में कोपिया रखी हुयी है, जिसमें लोग अपनी मुरादें लिखते हैं और उनका मानना है कि इसमे लिखी हुयी सारी मुरादें पूरी हो जाती है। मंदिर में एक ऐसी जगह भी है जहां लोग सिक्के गिराते है, अगर वो सिक्का उन्हें वापिस मिल जाता है तो वो बहुत ही भाग्यशाली होते हैं और उस सिक्के को पर्स में सम्भाल रखने की सलाह दी जाती है।
इन दोनों मंदिरों का संचालन आर्मी द्वारा ही किया जाता है।
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